छत्तीसगढ़ में टीबी की दवा खत्म, दवा के लिए मरीज एक जिले से दूसरे जिले भटक रहे

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छत्तीसगढ़ में टीबी की दवा खत्म, दवा के लिए मरीज एक जिले से दूसरे जिले भटक रहे

छत्तीसगढ़ में टीबी की दवा खत्म हो गई है। मरीज आस-पड़ोस के जिलों में दवा के लिए भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें नहीं मिल रही है। दरअसल, टीबी की दवा खुले बाजार में नहीं मिलती। केंद्र से इसकी सप्लाई होती है। करीब सवा महीने से दवा की सप्लाई ही नहीं हो रही।

टीबी के मरीजों को दी जाने वाली दवा 3 एपीसी और 4 एपीसी की सप्लाई नहीं हो पा रही है। दवा के लिए मरीज एक जिले से दूसरे जिले भटक रहे हैं। बाजार में भी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि इन दवाओं की सरकारी सप्लाई होती है। टीबी रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि अगर मरीजों को नियमित डोज नहीं मिलेगा तो सुधार रुक जाएगा। अमूमन 7-8 महीने में टीबी का इलाज हो जाता है, लेकिन गैप होने पर 18 महीने तक दवा लेनी होगी। दूसरे साइड इफेक्ट्स भी आएंगे।

मरीजों ने कहा- दवा ही नहीं मिल रही है

केस 1 सरगांव के दीनानाथ साहू ने सिम्स के टीबी वार्ड में संपर्क किया तो उन्हें पता चला कि दवा खत्म हो गई है। वे प्राइवेट मेडिकल स्टोर गए तो वहां दवा उपलब्ध नहीं थी।

हर दिन के बजाय हफ्ते में ले रहे मेडिसीन
टीबी रोग विशेषज्ञ डॉ. अखिलेश देवरस के मुताबिक पिछले एक महीने से मांग के अनुसार दवा नहीं मिल रही है। बीच-बीच में कम मात्रा में सप्लाई हो रही है। बिलासपुर जिले में टीबी के 5500 मरीज हैं। प्रदेश में 55 हजार मरीज हैं। मरीजों को हर दिन दवा लेनी होती है। सप्लाई नहीं होने के कारण एक हफ्ते में एक दवा ले पा रहे हैं। इससे वजन कम होने की शिकायतें आ रही हैं।

मरीज को एक दिन में तीन से चार दवा की डोज दी जाती है। कमी के कारण हफ्ते में सिर्फ एक दवा दे पा रहे हैं, इसलिए मरीजों का वजन घटने लगा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा दिन दवा नहीं मिलने की स्थिति में मरीजों को अतिरिक्त समय तक दवाई देनी होगी। साथ ही, मल्टी ड्रग रजिस्टेंस टीबी का खतरा बढ़ जाएगा।

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