छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में राम मंदिर का असर:पहले-दूसरे चरण की 4 सीटों पर रेल-रोजगार पर नाराजगी;

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छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में राम मंदिर का असर:पहले-दूसरे चरण की 4 सीटों पर रेल-रोजगार पर नाराजगी;

तुम हमें वोट दो हम यहां सड़क बनवा देंगे, पीने का पानी देंगे, अस्पताल खुलवा देंगे, रेल की सुविधा मिलेगी। आजादी के 77 साल बाद भी बस्तर-कांकेर में इन बुनियादी जरूरतों के वादों पर चुनाव लड़ा जा रहा है। यहां के वोटर 1952 से ऐसे वादे सुनते आ रहे हैं। ये वादे अब तक अधूरे ही हैं और एक बार फिर चुनाव में रिपीट हो रहे हैं।

राजनांदगांव और महासमुंद लोकसभा सीटों में राम मंदिर, हिंदुत्व की बातें हावी हैं। चाहे इलाका शहरी हो या ग्रामीण भगवान राम का ननिहाल छत्तीसगढ़ में पहले और दूसरे चरण के चुनाव में भगवान वाली पॉलिटिक्स का असर है। भाजपा के साथ ही कांग्रेस भी इससे खुद को जोड़े रखने की कोशिश में दिखी।

बस्तर के युवा कहते हैं कि फार्म भरते हैं, लेकिन मौका नहीं मिलता। नेता वादा करके भूल जाते हैं। पीने का पानी तक नहीं मिलता है। मोहला-मानपुर की महिलाएं कहती हैं, बिजली की व्यवस्था नहीं है। आवास योजना का फॉर्म भरा, लेकिन दफ्तरों के चक्कर के अलावा कुछ नहीं मिला।

19 अप्रैल को पहले चरण में बस्तर लोकसभा सीट में मतदान होने जा रहा है। इसके बाद दूसरे चरण में कांकेर, राजनांदगांव और महासमुंद लोकसभा सीट पर 26 अप्रैल को वोटिंग होगी।

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